



लैलूंगा। आज लैलूंगा जनपद पंचायत के केलो सभा भवन में आयोजित हुआ आदि कर्मयोगी अभियान का एकदिवसीय कार्यशाला, जिसने पूरे क्षेत्र में विकास को लेकर नई उम्मीदें जगा दीं। केंद्र सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत देशभर के 28 राज्यों और 550 जिलों में लगातार कार्यशालाएँ आयोजित हो रही हैं। इसी कड़ी में रायगढ़ जिले के लैलूंगा में भी आज (14 सितंबर 2025) प्रशिक्षण कार्यक्रम रखा गया।

जिसमें जनपद पंचायत के सचिव ग्राम पंचायत,प्रधानपाठक,वनरक्षक,छात्रावास अधीक्षक,हैण्ड पंप तकनीशियन,मितानीन,आंगनबाडी कार्यकर्ता,महिला समूह, लाइन मेन शिक्षक और समस्त स्टाफ ने सक्रिय भागीदारी निभाई। इस अभियान का मकसद है – देश के पिछड़े और विशेषकर जनजातीय समुदायों के लिए निजी एवं सामुदायिक विकास की योजनाएँ तैयार करना और उन्हें जमीनी स्तर तक पहुँचाना। लैलूंगा जैसे अंचल क्षेत्रों में जहाँ आज भी मूलभूत सुविधाओं की कमी महसूस की जाती है, वहाँ यह कार्यशाला आने वाले दिनों में परिवर्तन की नई राह खोलने वाली साबित हो सकती है।विकास की नई परिकल्पनाकार्यशाला में यह तय किया गया कि 2 अक्टूबर तक लगातार ट्रांजिट वाक चलाए जाएंगे। इसके अंतर्गत अधिकारी और कर्मचारी गाँव-गाँव जाकर वहाँ की समस्याओं को प्रत्यक्ष रूप से समझेंगे, ग्रामीणों से संवाद करेंगे और विकास की ठोस योजनाएँ तैयार करेंगे।सिर्फ कागजी योजनाएँ नहीं, बल्कि जमीनी हकीकत पर आधारित सामुदायिक विकास योजना बनाना इस अभियान का मुख्य उद्देश्य है।लैलूंगा आदिवासी अंचल पर खास नजरलैलूंगा क्षेत्र की बड़ी आबादी आदिवासी है, जिनकी आर्थिक और सामाजिक स्थिति अब भी काफी पिछड़ी हुई है। आदि कर्मयोगी अभियान में खासतौर पर इन्हीं समुदायों को केंद्र में रखा गया है। शिक्षा, स्वास्थ्य, रोज़गार और बुनियादी ढाँचे को लेकर लंबी अवधि की कार्ययोजना तैयार की जाएगी, ताकि समाज के अंतिम पायदान तक विकास पहुँच सके। अधिकारियों की रही उपस्थितिआज की कार्यशाला में जनपद पंचायत के सभी सचिव, गुरुजी और ब्लॉक स्तरीय अधिकारी मौजूद रहे। प्रशिक्षण में यह सिखाया गया कि किस तरह गाँव स्तर पर लोगों को जोड़कर योजनाओं को अधिक कारगर बनाया जा सकता है।ग्रामीणों में बढ़ी उम्मीदेंगाँवों से आए कई प्रतिनिधियों ने बताया कि यदि इस बार योजनाएँ सिर्फ फाइलों में नहीं सिमटकर ज़मीन पर उतरती हैं, तो आने वाले सालों में लैलूंगा क्षेत्र की तस्वीर बदल सकती है। लोगों को अब यह उम्मीद है कि सरकार का यह अभियान दिखावा नहीं बल्कि सच्चे विकास की दिशा में ठोस पहल साबित होगा।कार्यशाला से यह साफ संदेश निकला कि आने वाले दिनों में प्रशासन और पंचायत स्तर के कर्मचारी सीधे ग्रामीणों के बीच जाकर उनकी समस्याओं को समझेंगे। साथ ही, हर गाँव के लिए एक वृहद विकास खाका तैयार किया जाएगा। कुल मिलाकर, लैलूंगा की धरती से आज विकास का नया बिगुल बज चुका है। यदि केंद्र सरकार की मंशा और स्थानीय प्रशासन की मेहनत साथ आई, तो आदि कर्मयोगी अभियान सिर्फ कागजों की कहानी नहीं रहेगा, बल्कि यह जनजातीय समाज की ज़िंदगी में वास्तविक बदलाव का कारण बनेगा।
