



भालूपखना में लघु जल विद्युत परियोजना बन रही खतरे की घंटी!
धरमजयगढ़। धरमजयगढ़ ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले भालूपखना गांव में निर्माणाधीन 7.50 मेगावाट लघु जल विद्युत परियोजना अब ग्रामीणों के लिए चिंता का विषय बन चुकी है। परियोजना के तहत लगातार हो रहे तेज विस्फोटों से गांव के लोगों में भारी दहशत फैल गई है। ग्रामीणों का कहना है कि दिनदहाड़े किए जा रहे इन धमाकों से न केवल उनके घरों की दीवारें दरकने लगी हैं, बल्कि कई बार तो पत्थरों के टुकड़े घरों तक आकर गिर रहे हैं। ग्रामीणों ने मीडिया से बातचीत में अपनी आपबीती साझा करते हुए बताया कि एक बार तो कुछ बच्चे बाल-बाल बचे, जब एक बड़ा पत्थर उनके खेलते समय कुछ ही दूरी पर आकर गिरा। उन्होंने यह भी बताया कि विस्फोटों के चलते उनके घरों में दरारें आ गई हैं और संपत्ति का नुकसान हुआ है।
प्रशासनिक लापरवाही पर उठे सवाल
इस पूरे घटनाक्रम में सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि कंपनी किस आधार पर इतने बड़े पैमाने पर विस्फोट कर रही है जबकि उसके विस्फोटक लाइसेंस की वैधता ही स्पष्ट नहीं है। ग्रामीणों ने प्रशासन से शिकायत करते हुए मांग की है कि कंपनी के विस्फोटक लाइसेंस की तत्काल जांच कर अधिनियम के तहत सख्त कार्रवाई की जाए। गौरतलब है कि जिले के कलेक्टर पहले ही जिलेभर में विस्फोटक अधिनियम के सख्त पालन के निर्देश दे चुके हैं। बावजूद इसके भालूपखना में हो रहे इन धमाकों से यह साफ होता है कि प्रशासन के आदेशों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। ग्रामीणों का मानना है कि यदि प्रशासन ने समय रहते उचित कदम उठाया होता, तो इस तरह की स्थिति उत्पन्न नहीं होती।

प्रशासन की प्रतिक्रिया
इस पूरे मामले में जब धरमजयगढ़ राजस्व अधिकारी धनराज मरकाम से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि इस विषय में आज ही कंपनी प्रबंधन को तलब किया गया है और उन्हें ग्राम क्षेत्र में विस्फोट करने से तत्काल मना कर दिया गया है। साथ ही कंपनी से लाइसेंस और अन्य संबंधित दस्तावेज मांगे गए हैं। इनकी जांच के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
ग्रामीणों की मांग
ग्रामीणों की मांग है कि जब तक पूरी जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक सभी प्रकार के विस्फोट बंद कर दिए जाएं। साथ ही जिन परिवारों को नुकसान हुआ है, उन्हें मुआवजा दिया जाए। भालूपखना गांव में हो रही यह घटना न केवल ग्रामीणों की सुरक्षा से जुड़ी हुई है, बल्कि प्रशासनिक कार्यशैली पर भी गंभीर सवाल खड़े कर रही है। अब देखना होगा कि प्रशासन इस मुद्दे पर कितनी गंभीरता से कार्रवाई करता है।
