
धरमजयगढ़/नई आवाज। कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि, जिसे हम धनतेरस के नाम से जानते हैं, धन, आरोग्य और समृद्धि का प्रतीक पर्व है। इस दिन माता लक्ष्मी और धनवंतरी देव की विशेष आराधना की जाती है। किंतु परंपराओं के अनुसार जिस प्रकार कुछ वस्तुएँ इस दिन खरीदना शुभ माना गया है, वहीं कुछ चीज़ें ऐसी भी हैं, जिन्हें खरीदना अशुभ फलदायी माना गया है।
वहीं ज्योतिष और पुराणों के मतानुसार धनतेरस के दिन लोहे की वस्तुएँ खरीदने से बचना चाहिए। लोहा शनि ग्रह से संबंधित होता है और इसे इस दिन लेना दुर्भाग्य का सूचक माना गया है। इसी तरह काँच, चीनी मिट्टी और प्लास्टिक के बर्तन भी टूटने वाली वस्तुएँ मानी जाती हैं — जो स्थायी समृद्धि के प्रतीक नहीं हैं।
धार्मिक मान्यता यह भी कहती है कि इस दिन तेल, काले वस्त्र या काली चीज़ें खरीदना अपशकुन होता है, क्योंकि काला रंग नकारात्मक ऊर्जाओं का संकेत देता है। काँच के आभूषण या नकली गहने भी नहीं खरीदने चाहिए, क्योंकि ये दिखावटी धन का प्रतीक हैं, न कि वास्तविक सौभाग्य का।
इसके साथ ही विद्वानों का मत है कि धनतेरस पर कर्ज या उधार लेने-देने से धन का अपव्यय होता है। इस दिन पैसा दिया जाए तो वह लौटकर नहीं आता, इसलिए आर्थिक लेन-देन से बचना ही बुद्धिमानी है।
धनतेरस का पर्व वास्तव में सजगता और श्रद्धा का संदेश देता है — कि धन का सम्मान करें, न कि दिखावे का। इस दिन सोना, चांदी, पीतल के बर्तन, दीपक या झाड़ू खरीदना शुभ होता है।
कहा भी गया है —
“जहाँ दीपक की लौ में सच्ची श्रद्धा होती है, वहाँ लक्ष्मी स्वयं निवास करती हैं।”
🪔 नई आवाज़ के साथ, आप सभी को शुभ धनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएँ।

