
धरमजयगढ़। गोवर्धन पूजा के पावन अवसर पर आज धरमजयगढ़ नगर श्रद्धा, उत्साह और भक्ति के रंगों से सराबोर रहा। नगर के यादव समाज ने परंपरा, आस्था और एकता का अद्भुत संगम प्रस्तुत करते हुए विशाल रैली का आयोजन किया, जो नगर के विभिन्न मार्गों से होकर गुज़री। रैली में श्रद्धालु गाय-गौरा की पूजा-अर्चना करते, भक्ति गीत गुनगुनाते और श्रीकृष्ण भगवान के जयघोष लगाते आगे बढ़ते रहे।इस अवसर पर नगर में जनसमूह उमड़ पड़ा। रैली के साथ महिलाएँ थाल में दीप लिए चल रहीं थीं तो युवा वर्ग झांकी और गोवर्धन पर्व की झलक प्रस्तुत कर रहे थे।


वहीं नगर के कोने-कोने से “गोवर्धन महाराज की जय”, “जय गोपाल, जय गोविंद” जैसे नारे गूंज उठे। धरमजयगढ के यादव समाज के प्रमुखों ने बताया कि गोवर्धन पूजा केवल पर्व नहीं, बल्कि श्रीकृष्ण द्वारा स्थापित “प्रकृति, पशु और मानव के प्रेम” का प्रतीक है। द्वापर युग में जब इंद्रदेव ने ब्रजभूमि पर प्रलयकारी वर्षा बरसाई थी, तब नन्हे कृष्ण ने अपनी कनिष्ठा अंगुली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर ब्रजवासियों और गौमाता की रक्षा की थी। तभी से यह दिवस “गोवर्धन पूजा” के रूप में श्रद्धा से मनाया जाता है। यादव समाज, जो स्वयं श्रीकृष्ण की वंश परंपरा से जुड़ा है, इस दिन विशेष पूजा-अर्चना करता है। गाय-बैलों को स्नान कराकर, तिलक लगाकर, पुष्पमालाओं से सजाया जाता है और उन्हें प्रेमपूर्वक भोजन कराया जाता है। यह पर्व मानवता और पशु-पक्षियों के प्रति करुणा और स्नेह का सन्देश देता है।नगर के हर कोने में भक्ति का आलोक झिलमिला उठा। गोवर्धन पूजा का यह भव्य आयोजन धरमजयगढ़ की सांस्कृतिक जीवंतता का परिचायक बना — जहाँ श्रद्धा ने परंपरा से हाथ मिलाया और कृष्ण-भक्ति की धारा में पूरा नगर डूब गया।— रिपोर्ट : नई आवाज़, धरमजयगढ़।


