
धरमजयगढ़। धरमजयगढ़ जनपद पंचायत का एक ऐसा किस्सा सामने आया है, जिसे सुनकर हर कोई दंग रह जाए। कहते हैं भ्रष्टाचार की कोई सीमा नहीं होती, लेकिन यहां तो यह सीमा भी लांघ दी गई।
गाँव का एक महिला मजदूर ग्रामीण किसान थी। अपने जरूरत मंदों के लिए रोज़ी-रोटी की तलाश में वह खेत-खलिहानों और पंचायत के हर छोटे-मोटे काम में मजदूरी किया करती थी। लेकिन एक दिन वह हादसे का शिकार हो गई। जहां उक्त महिला की पानी में डूबकर उसकी मृत्यु हो गई। गाँव भर में मातम छा गया, और शासन ने भी उसकी मौत का संज्ञान लेते हुए परिजनों को मुआवजा राशि प्रदान कर दी। लेकिन कहानी यहीं खत्म होनी चाहिए थी, लेकिन असली खेल तो यहीं से शुरू हुआ।
कुछ माह बाद गाँव वालों ने देखा कि मृतक का नाम पंचायत के मनरेगा मास्टर रोल में दर्ज हो रहा है। और वहीं न केवल दर्ज हो रहा है, बल्कि पुरे 71 दिन तक उसकी हाजिरी भी दिखाई जा रही है। लोग हैरान थे—“क्या उक्त व्यक्ति भूत बनकर काम करने आता है? क्या रात को आत्मा पंचायत के कामों में गड्ढा खोदने पहुँच जाती है?”
बता दें,असल में यह सब खेल था पंचायत कर्मियों का। उन्होंने मृतक की पहचान और उसका नाम इस्तेमाल कर मेहनताना राशि आहरित कर लिया। बड़ी विडंबना जीवित आदमी तो कभी-कभी मजदूरी के लिए अनुपस्थित हो सकता है, मगर यह मृतक इतना ‘मेहनती’ निकला कि रोज बिना नागा काम करता रहा—पंचायत कर्मियों के कागजों पर!
वहीं यह दिलचस्प कहानी को जानने के बाद संबंधित ग्राम पंचायत के लोग हतप्रभ हैं,और शासन-प्रशासन की ईमानदारी पर सवाल खड़े कर रहे हैं। आखिर पंचायत के अधिकारी-कर्मचारी किस स्तर तक भ्रष्टाचार कर सकते हैं, इसका जीता-जागता उदाहरण है यह किस्सा।
बहरहाल धरमजयगढ़ का यह मामला आज चर्चा का विषय बना हुआ है। जनता अब यही कह रही है—“अगर मरे हुए लोग भी काम करने लगे, तो जीते-जागते गरीबों को रोजगार कब मिलेगा?”
आगे की कड़ी में देखिए—क्या शासन करेगा कोई कड़ा कदम, या यह भ्रष्टाचार की दास्तान यूं ही चलती रहेगी।