



धरमजयगढ़। भारतमाला परियोजना के तहत धरमजयगढ़ विकासखंड के ग्रामीण अंचलों में फोरलेन सड़क निर्माण का कार्य प्रगति पर है, किन्तु इस बहुप्रतीक्षित परियोजना के नाम पर अब एक बार फिर मुआवज़ा प्राप्ति की फिक्र में दलाल सक्रिय होते नज़र आ रहे हैं। ज्ञात हो कि रायगढ़ जिले के तमनार ब्लॉक के बजरमुड़ा एवं मिलुपारा में पूर्व में इसी प्रकार की कार्यशैली अपनाई गई थी, जिसमें कथित तौर पर अवैध ढंग से मुआवज़ा प्राप्त करने के लिए गोदाम, मकान और शेड निर्माण कर शासन को करोड़ों की क्षति पहुँचाई गई थी। अब वैसा ही परिदृश्य धरमजयगढ़ के आश्रित ग्राम मेढ़रमार में उभरने लगा है, जहाँ भारतमाला परियोजना के तहत बीते कुछ समय से सड़क मार्ग के लिए सर्वे किया जा रहा था।हालांकि कई बार किए गए सर्वेक्षण के बाद अभी तक मार्ग को अंतिम रूप नहीं दिया गया था, परंतु जैसे ही हाल ही में फिर से एक सर्वे किया गया, ग्रामीणों ने इसे अंतिम मानकर चिन्हांकित भूमि पर निर्माण कार्य शुरू करवा दिया है।

किसानों की जमीन पर रातोंरात खड़े हो गए शेड निर्माण — दलालों की भूमिका?
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, भारतमाला परियोजना के पहले चरण में धरमजयगढ़ एवं बायसी कॉलोनी की ज़मीन अधिग्रहण के तहत मकान, ज़मीन व शेड के एवज में किसानों को मुआवज़ा वितरित किया जा चुका है। परंतु उक्त भूमि पहले से ही कोयला मंत्रालय द्वारा कर्नाटक पॉवर के ओपन कोल ब्लॉक हेतु प्रस्तावित है, जिससे भारतमाला मार्ग को डायवर्ट किया जाना प्रस्तावित हुआ। डायवर्जन सर्वे की सूचना मिलते ही कुछ पुराने और अनुभवी दलाल पुनः सक्रिय हो गए। बताया जा रहा है कि बायसी कॉलोनी के दो प्रमुख दलालों ने प्रभावित किसानों से स्टाम्प पेपर में एग्रीमेंट कर, उन्हें नकद रकम का प्रलोभन देकर उनकी ज़मीन पर अवैध रूप से गोदाम निर्माण कार्य आरंभ करवा दिया है। यह संपूर्ण गतिविधि बजरमुड़ा की तर्ज़ पर खेली जा रही एक सुनियोजित योजना प्रतीत हो रही है, जिसमें दलाल मुआवज़ा के बहाने शासन को पुनः करोड़ों की चपत लगाने की फिराक में हैं। ऐसी स्थिति में स्थानीय प्रशासन को मामले का संज्ञान लेकर सघन जांच कर ठोस कार्यवाही करनी चाहिए, जिससे ऐसे तत्वों में भय का वातावरण निर्मित हो।

एनएच सर्वेयर अधिकारियों से सेटिंग, मुआवज़ा बढ़ाने की कवायद?—
सूत्रों के अनुसार, उक्त दलाल अब भारतमाला परियोजना से जुड़े एनएच सर्वेयर अधिकारियों से संपर्क स्थापित कर चुके हैं। कहा जा रहा है कि मुआवज़े की राशि बढ़वाने के लिए मोटी राशि का लेन-देन भी तय हो चुका है। बजरमुड़ा में करीब 55 हजार वर्गफीट के शेड का मुआवज़ा पारित किए जाने जैसी स्थिति यदि मेढ़रमार में भी दोहराई जाती है, तो यह स्पष्ट होगा कि एनएच अधिकारी और दलालों के बीच गहरी सांठगांठ हो सकती है। अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रशासन इस गंभीर मामले में समय रहते सक्रिय होता है या नहीं। यदि नहीं, तो धरमजयगढ़ में एक और बजरमुड़ा कांड सामने आ सकता है, जो शासन की नीतियों और विकास कार्यों को सवालों के घेरे में ला खड़ा करेगा।