
धरमजयगढ़ से विशेष रिपोर्ट: नई आवाज न्यूज
धरमजयगढ। इन दिनों धरमजयगढ के नगर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में भी जमीन पर कब्जा, दलालों द्वारा अवैध रूप से झांसा देकर जमीन बेचने, जैसे मामले लगातार आते रहे हैं। और फिर पीड़ित किसान, परिवार, न्याय की आस में स्थानीय दफ्तर के चक्कर काटते परेशान थकते नजर आते रहे हैं।
इसी क्रम में एक मामला सामने आया है, जहां पर धरमजयगढ तहसील कार्यालय के सामने बीते दो दिनों से न्याय की आस में बैठे समरेश मंडल और हरण मंडल का परिवार प्रशासन की चुप्पी और उदासीनता पर सवाल खड़े कर रहा है। जहां पर संतोषनगर निवासी मंडल परिवार अपनी पुश्तैनी लगभग 70 डिसमिल (करीब 5 एकड़) जमीन पर हो रहे अवैध कब्जे के खिलाफ न्याय की गुहार लगाते हुए शांति पूर्ण धरने पर बैठा है।शनिवार को शासकीय अवकाश होने के बावजूद, तहसील कार्यालय के मुख्य द्वार के समक्ष समरेश मंडल, हरण मंडल व उनके परिजन सुबह से देर शाम तक डटे रहे। उनके चेहरे पर थकावट भले हो, पर आंखों में अब भी न्याय की उम्मीद झलक रही थी।

सीमांकन में उजागर हुआ सच, फिर भी प्रशासन खामोश
पीड़ित परिवार के बताए अनुसार मामले की शुरुआत 30 मई को हुई जब समरेश मंडल और हरण मंडल ने अपनी निजी भूमि – खसरा नंबर 402/1 – पर निर्माण कार्य होता देख तहसील कार्यालय में सीमांकन के लिए आवेदन दिया। तहसील द्वारा किए गए सीमांकन के दौरान स्पष्ट रूप से देखा गया कि उक्त जमीन पर अन्य व्यक्तियों द्वारा अतिक्रमण कर मकान निर्माण किया जा रहा है।
बिना सीमांकन रद्द हुआ स्थगन आदेश!
इससे भी गंभीर बात यह रही कि जब मंडल परिवार ने निर्माण पर रोक लगाने हेतु स्थगन आदेश की मांग की, तो पहले से जारी स्थगन आदेश को धरमजयगढ़ एसडीएम द्वारा उस समय रद्द कर दिया गया जब सीमांकन कार्य अभी हुआ भी नहीं था। जब मंडल परिवार ने आपत्ति जताई कि बिना सीमांकन कैसे स्थगन आदेश रद्द हो सकता है, तब हड़बड़ी में सीमांकन कराया गया। सीमांकन में साफ हुआ कि जमीन पर अतिक्रमण हुआ है और निर्माण कार्य जारी है।
स्थगन आदेश अब तक जारी नहीं
मामले में इतना सबकुछ सामने आने के बाद भी दोबारा स्थगन आदेश जारी नहीं किया गया, जिससे हताश होकर समरेश मंडल और हरण मंडल अपने पूरे परिवार के साथ तहसील कार्यालय के समक्ष धरने पर बैठने को विवश हुए।

कांग्रेस नेता ने दिया समर्थन
बता दें,धरना स्थल पर शुक्रवार की शाम धरमजयगढ़ ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष ऋतुराज सिंह ठाकुर ने पहुंचकर मंडल परिवार से मुलाकात की और उनके परिवार के हर सदस्य से बातचीत की, मामले को पीड़ित परिवार ने पुरा वृतांत सुनाया, और वहीं अध्यक्ष ठाकुर ने मामले को समझा, और वहीं उन्हें पूर्ण समर्थन देने की बात कही।
न्याय की चुप्पी पर उठे सवाल
इस पूरे घटनाक्रम में यह सवाल अहम हो गया है कि जब सीमांकन में अतिक्रमण प्रमाणित हो चुका है, तो प्रशासन अब तक स्थगन आदेश जारी करने से क्यों कतरा रहा है? क्या आम नागरिक की जमीन की रक्षा की जिम्मेदारी प्रशासन की नहीं बनती?मंडल परिवार की पीड़ा सिर्फ एक जमीन के टुकड़े की नहीं है, यह उस व्यवस्था के खिलाफ एक मौन विरोध है जो न्याय के बदले मौन और निष्क्रियता को ओढ़े बैठी है।
प्रशासन कब देगा जवाब?
अब देखना यह है कि मंडल परिवार की यह शांतिपूर्ण लड़ाई कब तक जारी रहेगी और क्या धरमजयगढ़ का प्रशासन अपनी संवेदनशीलता दिखाते हुए न्याय का साथ देगा या फिर यह मामला भी अन्य अनेकों की तरह फाइलों में दबकर रह जाएगा। वहीं धरना स्थल से उठता हर सवाल शासन और प्रशासन की जवाबदेही पर गहरी चोट करता है। मंडल परिवार जैसे कई परिवारों के लिए यह लड़ाई अस्तित्व की है – एक ऐसे हक की जिसे कानून और संविधान भी उन्हें देने का वादा करता है।

