
धरमजयगढ। इन दिनों उरगा से पत्थलगांव तक प्रस्तावित राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 130ए के पुनः संरेखण के अंतर्गत धरमजयगढ़ अनुविभाग के ग्राम बायसी, मेंढरमार एवं धरमजयगढ़ में चल रहे भू-अर्जन की प्रक्रिया के बीच अवैध निर्माण की सूचनाओं पर जिला प्रशासन गंभीर हो गया है। वहीं इस संबंध में कलेक्टर रायगढ़ द्वारा भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) को स्पष्ट निर्देश जारी किए गए हैं।
कलेक्टर ने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि प्रभावित ग्रामों में सर्वे के दौरान कुछ भूमिस्वामियों द्वारा प्रस्तावित एलाईनमेंट क्षेत्र में टीन शेड एवं पोल्ट्री फार्म जैसे अस्थाई निर्माण कार्य किए जा रहे हैं, जो संदेहास्पद है। ऐसे निर्माण कार्यों को रोकने हेतु एनएचएआई को आवश्यक निर्देश देने की बात कही गई है। और वहीं प्रशासन ने इस बात पर भी चिंता व्यक्त की है कि अभी तक एनएचएआई द्वारा एलाइन्मेंट की अधिकृत जानकारी न तो राजस्व विभाग और न ही भू-अर्जन अधिकारी को प्रदान की गई है, बावजूद इसके प्रभावित खातेदारों को जमीन से जुड़ी जानकारी कैसे प्राप्त हो रही है, यह गंभीर जांच का विषय है। यह स्पष्ट संकेत है कि एलाइन्मेंट से जुड़ी गोपनीय जानकारी ग्राम स्तर पर लीक हो रही है।

वहीं कलेक्टर ने इस पर तत्काल संज्ञान लेते हुए एनएचएआई और उसके डी.पी.आर. सलाहकारों को निर्देशित किया है कि –एलाइन्मेंट की जानकारी पूर्ण गोपनीय रखी जाए। और फील्ड सर्वेयर बिना स्थानीय राजस्व अमले के समन्वय के सर्वे न करें। सर्वे कार्य से पूर्व तहसीलदार एवं अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) के साथ समन्वय बैठक कर संयुक्त रूप से सर्वे योजना बनाई जाए। सर्वे के दिन ही पत्रक-10 तथा पंचनामा तैयार किया जाए। बिना पत्रक-10 के झंडी या अन्य कोई मार्किंग कार्य न किया जाए।सम्पूर्ण सर्वे ड्रोन वीडियोग्राफी एवं मौके पर वीडियोग्राफी के माध्यम से किया जाए और उसकी प्रति राजस्व कार्यालय में जमा की जाए।
लेकिन वहीं, इधर विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार ग्राम मेंढरमार में पहले बने टीन शेड निर्माण के अलावा पुनः नए शेडों का निर्माण भी धड़ल्ले से किया जा रहा है। यह परिस्थिति इस बात की पुष्टि करती है कि एलाइन्मेंट की गोपनीय जानकारी का अनुचित रूप से दुरुपयोग हो रहा है, जिसे रोकना स्थानीय प्रशासन को अत्यंत आवश्यक है। इसके साथ ही कलेक्टर ने यह भी निर्देशित किया है कि संभावित भूमि व्यपवर्तन और अवैध खरीदी-बिक्री को रोकने हेतु प्रभावित भूमि की सूची उप-पंजीयक व जिला पंजीयक कार्यालय को तत्काल भेजी जाए, ताकि छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता के अंतर्गत उचित कार्रवाई की जा सके।
इस निर्देश के साथ जिला प्रशासन ने यह स्पष्ट कर दिया है, कि भू-अर्जन कार्य की पारदर्शिता और विधिसम्मत प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए किसी भी स्तर पर लापरवाही अथवा गोपनीयता भंग को सहन नहीं किया जाएगा। राष्ट्रीय महत्व की इस परियोजना को लेकर प्रशासन की गंभीरता और सजगता अब सार्वजनिक मंचों पर भी दिखने लगी है।
बहरहाल अब देखने वाली बात होगी कि कलेक्टर द्वारा दिए गए कड़ी निर्देश पर एनएचएआई किस तरह अमल करती है।