
बाकारूमा। पुण्यश्लोक महारानी अहिल्या बाई होलकर की त्रिशताब्दी जयंती स्मृति वर्ष के अवसर पर आज किलकिलेश्वर धाम स्थित प्राचीन शिव मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना संपन्न हुई। इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने मंदिर प्रांगण की स्वच्छता कर पुण्य का अर्जन किया। पूजन के उपरांत श्री श्री 1008 कपिल दास मुनि बाबा से आशीर्वाद प्राप्त कर आयोजन का शुभारंभ हुआ। और वहीं जनपद अध्यक्ष लीनव राठिया ने श्रद्धांजलि स्वरूप अपने उद्बोधन में कहा कि अहिल्या बाई होलकर ने शासन को केवल सत्ता का साधन न मानते हुए, उसे सेवा और न्याय का माध्यम बनाया। उन्होंने सुशासन के दृढ़ संकल्प के साथ लोकमंगल को सर्वोपरि रखा। उनका जीवन इस बात का उदाहरण है कि जब सेवा भाव से कार्य किया जाए तो स्मृतियाँ युगों-युगों तक जीवित रहती हैं। आगे उन्होंने कहा कि लोकमाता का जीवन-दर्शन हमें प्रेरणा देता है कि हम अपने जीवन को जनकल्याण के पथ पर समर्पित करें। त्रिशताब्दी वर्ष का यह आयोजन केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि उनके आचरण और मूल्यों को जन-जन तक पहुँचाने का माध्यम है। उन्होंने आह्वान किया कि अहिल्याबाई होलकर के शौर्य, न्याय, सेवा, त्याग और समर्पण की गाथा हर गांव, हर गली, हर घर तक पहुँचे, ताकि समाज में नई प्रेरणा का संचार हो।उन्होंने यह भी कहा कि होलकर महारानी नारी सशक्तिकरण की प्रखर प्रतीक थीं। उन्होंने न केवल सामाजिक सुधारों को बढ़ावा दिया, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के क्षेत्र में भी अनुकरणीय कार्य किए। वे भारत की प्रथम ऐसी महिला शासक थीं, जिन्होंने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में ठोस पहल की। इस शुभ अवसर पर वट सावित्री व्रत के पावन पर्व पर अध्यक्ष राठिया ने सभी सुहागिनों को हार्दिक शुभकामनाएँ प्रेषित करते हुए भगवान शिव से उनके सौभाग्य और सुहाग की दीर्घायु के लिए प्रार्थना की। कार्यक्रम में उपस्थित जनसमूह ने लोकमाता अहिल्या बाई होलकर को श्रद्धांजलि अर्पित कर उनके आदर्शों को आत्मसात करने का संकल्प लिया।