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विशेष पिछड़ी जनजाति बिरहोर हितग्राहियों को मिला, पीएम जनमन आवास, सचिव ने लिया ठेका, राशि आहरण करा कर बैंक पासबुक समेत रख लिया रूपए, निर्माण कार्य ठप्प!

बिरहोर को लेकर जनपद सीईओ के बिगड़े बोल!

धरमजयगढ – रायगढ़ जिले धरमजयगढ़ विकासखंड से एक ऐसा मामला सामने आई है, जहां पर पंचायत सचिव ने हितग्राहियों के खाते से राशि आहरण करा कर बैंक पासबुक समेत अपने पास रख लिया है।

पुरा मामला जिले के जनपद पंचायत धरमजयगढ क्षेत्र के ग्राम पंचायत जबगा के बलपेदा गांव का है। जहां पर विशेष पिछड़ी जनजाति बिरहोर समुदाय के लोगों को पीएम जनमन आवास योजना के तहत आवास शासन ने स्वीकृति दी है,जिसके बाद पंचायत सचिव द्वारा घर बनवाने का ठेका लिया गया है, और हितग्राहियों ने बताया कि वहीं पहली किस्त जनवरी 2024 में उनके बैंक खाते से सचिव द्वारा राशि आहरण करा कर निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाता है, और वहीं इसी भरोसे से हितग्राहियों ने दुसरी किस्त भी निकाल कर सचिव को दे दिए। आगे उन्होंने कहा कि दुसरी किस्त राशि देने के बाद सचिव बैंक पासबुक समेत रख लिया। और आज तक झांकने के लिए नहीं आता है, आगे उन्होंने बताया कि जब इसके संबंध में सचिव को कहा,तो सचिव द्वारा धमकाया चमकाया जा रहा है, और कहता है कि,पैसा रहेगा तब तो बनेगा एक लाख रुपए दो फिर बनेगा। नहीं तो फिर तुम बिरहोर लोग भाड़ में जाओ कहते हुए,दवाब बनाता है,जिससे हितग्राहियों को अब घर नहीं बन पाने का चिंता सता रही है।

आपको बता दें, बलपेदा गांव में कुल 6 परिवार के बिरहोर समुदाय के हितग्राहियों का पीएम जनमन आवास स्वीकृति है, जिसका तीन हितग्राहियों के आवास को ग्राम पंचायत सरपंच द्वारा बनवाया जा रहा है, जो कार्य प्रगति पर दिख रही है, और वहीं सचिव द्वारा बनवाया जा रहा आवास दो किस्त राशि निकलवा कर रख लेने पर भी निर्माण कार्य ठप्प हो गया है।

इसके संबंध में हमने फोन के माध्यम से संपर्क कर सचिव संजय खल्खो से जानकारी चाही, तो उन्होंने धमकी भरे स्वर में कहा कि ‘ सचिव मैं हूं कि तुम ‘ तुम इस बारे में नहीं पुछ सकते, मैं जैसा भी करूं,मेरी मर्जी। बिरहोर लोग का घर नहीं भी बने तो आपको क्या है ? और बिरहोर लोग भाड़ में जाएं, और समुदाय का भी यही हाल है, क्या कर सकते हैं। एक तरफ फिर सचिव मामले को उलझाने का प्रयास करते हुए उनका कहना है,कि 40 हजार रुपए हितग्राहियों ने निकाल खायें है,उसको कौन भरेगा आप। इससे साफ जाहिर होता है कि सचिव द्वारा गोलमाल किया जा रहा है।

इसके बाद हमने इसके उच्चाधिकारी जनपद पंचायत सीईओ शिवकुमार टंडन से वर्जन लेने पहुंचे,तो उन्होंने साफ मना करते हुए कहा, कि ये कोई खबर है, हमारे यहां तो कई ऐसे मामले पड़े हैं, इसमें कुछ आना जाना नहीं।फिर हमने कहा कि महोदय विशेष पिछड़ी जनजाति में से आते हैं, बिरहोर समुदाय के लोग हैं, राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र मानें जाते हैं, और आवास मिलने की खुशी देखी जा रही है, उनमें। और वहीं आपके सचिव द्वारा उनका तीनों हितग्राहियों का आवास निर्माण कार्य ठप्प हो जाना ,साथ ही हितग्राहियों का बैंक पासबुक तक रख लेना,कहां तक सही है।

तब उन्होंने तो शासन को एवं राष्ट्रपति के दत्तक पुत्रों भला-बुरा कहते हुए कहा- *कि,आजादी के 75 वर्ष बाद अब तक कहां था,शासन। आज 19 वां अमृत महोत्सव मना रहा है,शासन। क्या शासन प्रशासन, भारत सरकार को आज ख्याल आया बिरहोर लोगों का,जब एक महिला राष्ट्रपति बना तब। नहीं तो इतना दिन कहां था तुम्हारा भारत सरकार। इतने दिनों तक सुध नहीं लिया आपका भारत सरकार।और बिरहोर लोगों का तो प्रचलन वो जंगल में रहते, पेड़ों पर रहते हैं।और तुम लोग सचिव के पीछे पड़े हो।आगे उन्होंने कहा कि अगर आवास बने चाहे मत बने, अगर हितग्राहियों द्वारा पैसा आहरण कर खा देंगे तो, प्रधानमंत्री भी नहीं निकाल सकता। ऐसे कहते हुए, सचिव का ही तरफदारी करने लगे।इससे साफ जाहिर होता है, कि जब जनपद पंचायत सीईओ ही इस तरह की बातें, सचिवों का गलती पर पनाह देना,कल के दिन में आवास नहीं बनने पर या फिर अन्य कार्यों पर शायद हितग्राहियों के ऊपर ही राशि खा गया,बोलकर मामला रफा-दफा कर दी जाती होगी।

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