वार्ड नंबर 35 से शोभा आचार्य की मजबूत दावेदारी, चुनावी माहौल में मची हलचल!

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रायगढ़। जूटमिल क्षेत्र के वार्ड नंबर 35 में चुनावी माहौल गरमाने लगा है। इस बार क्षेत्र में चर्चा का केंद्र बनी हुई हैं शोभा आचार्य, जिनकी दावेदारी ने राजनीतिक समीकरणों को नया मोड़ दिया है। प्रतिष्ठित राजपुरोहित परिवार की बहू और पं. मनोहर आचार्य की धर्मपत्नी, आचार्य ने अपनी कर्मठता और सामाजिक जुड़ाव से क्षेत्रीय जनता के बीच एक अलग पहचान बनाई है। ग्रामीण पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखने वाली शोभा आचार्य न केवल शिक्षित हैं, बल्कि अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों के प्रति पूरी तरह जागरूक हैं। समाज सेवा और महिलाओं के उत्थान में उनकी सक्रियता ने उन्हें जनता के दिलों में एक विशेष स्थान दिलाया है। वार्ड की समस्याओं को न सिर्फ उन्होंने करीब से समझा है, बल्कि उनके समाधान के लिए भी प्रयासरत रही हैं।


शोभा आचार्य को उनके पुत्र, शिवम् आचार्य का भी मजबूत राजनीतिक समर्थन प्राप्त है। शिवम् आचार्य, जो भाजपा युवा मोर्चा के मंत्री और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सक्रिय सदस्य रहे हैं, अपनी पार्टी और क्षेत्रीय राजनीति में प्रभावी पहचान रखते हैं। उनकी युवाओं के बीच लोकप्रियता और संगठनात्मक अनुभव निश्चित रूप से उनकी माता की दावेदारी को मजबूत आधार प्रदान करते हैं। पुत्र शिवम् आचार्य ने अपनी मां की दावेदारी को लेकर भाजपा संगठन और पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को भी आवेदन दिया है।


जूटमिल क्षेत्र का प्रतिष्ठित राजपुरोहित परिवार, जिसकी सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में गहरी जड़ें हैं, का समर्थन भी श्रीमती आचार्य को एक प्रबल उम्मीदवार बनाता है। क्षेत्रीय जनता की उम्मीदें और विश्वास उनके साथ खड़े हैं। उनकी सादगी, सेवा भावना और जनसंपर्क क्षमता उन्हें अन्य उम्मीदवारों से अलग खड़ा करती है।

क्या शोभा आचार्य बनेंगी क्षेत्र की नई आवाज?…


शोभा आचार्य की लोकप्रियता और जनहित के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने चुनावी परिदृश्य को पूरी तरह बदल दिया है। यदि पार्टी नेतृत्व ने उन्हें टिकट दिया, तो यह स्पष्ट है कि वार्ड नंबर 35 में चुनावी मुकाबला दिलचस्प और परिणामस्वरूप निर्णायक होगा।


वार्ड नंबर 35 की जनता एक ऐसे प्रतिनिधि की उम्मीद कर रही है जो उनकी समस्याओं को न केवल समझे, बल्कि उन्हें समाधान की दिशा में ले जाए। श्रीमती शोभा आचार्य की दावेदारी इस दिशा में उम्मीद की किरण बनकर उभरी है। अब यह फैसला भाजपा संगठन और शीर्ष नेतृत्व पर निर्भर करता है कि वह इस सशक्त और जनप्रिय उम्मीदवार को जनता की सेवा का मौका देती है या नहीं। भाजपा नेतृत्व श्रीमती शोभा आचार्य की लोकप्रियता और उनकी समर्पित छवि पर कितना भरोसा जताता है। क्षेत्रीय जनता की मांग और समर्थन को देखते हुए ऐसा प्रतीत होता है कि यदि उन्हें टिकट मिलता है, तो वह चुनावी समीकरणों को नए सिरे से परिभाषित कर सकती हैं।

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