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मूलभूत सुविधाओं से वंचित,यह गांव…सड़क का पता नहीं, नाले के पानी से बुझाते हैं,प्यास!

गंवारडांड़ जाने का पगडंडी रास्ता

धरमजयगढ़। विकास की बाट जोहता एक ऐसा गांव जहां के ग्रामीण आजादी के 77 वर्षों बाद भी सड़क और स्वच्छ पेयजल जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं,यह गांव। धरमजयगढ़ जनपद पंचायत के रूवाफुल पंचायत का बताती से लगे गंवारडांड गांव जहां चारों ओर से पहाड़ियों से घिरे प्राकृतिक छटा बिखेरते आदिवासी बाहुल्य गंवारडांड़ गांव के ग्रामीण वर्षों से उपेक्षा का दंश झेल रहे हैं। आपको बता दें,इस गांव में पहुंचने के लिए कोई सड़क नहीं है. पगडंडियों के सहारे बारह किलोमीटर चलकर ग्रामीण मुख्य सड़क तक पहुंचते हैं। ग्रामीणों को स्वच्छ पेयजल तक नसीब नहीं है।

आज के दौर में किसी भी व्यक्ति के लिए मूलभूत सुविधाएं जरूरी होती हैं, लेकिन गंवारडां़ड गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर हैं. आज भी लोग नल जल, बिजली, रोड के बिना अपना जीवन यापन कर रहे हैं।. यहां आज भी ग्रामीण वैसे ही जीवन यापन कर रहे हैं जैसे आजादी के पहले किया जाता था। इन दोनों गांव में लगभग 14 से 15 घर परिवार निवासरत हैं, जिन्हें सरकार की तरफ से दी जाने वाली योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। नदी में पुल नहीं होने के कारण लोगों को बारिश के मौसम में भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। लोगों ने बताया कि खासकर तब ये परेशानी और बढ़ जाती है अगर कोई व्यक्ति बीमार हो जाए। लेकिन गंवारडांड़ गांव में मूलभूत सुविधाओं से वंचित होने के कारण ग्रामीणों में जनप्रतिनिधियों के खिलाफ रोष व्याप्त है। ग्रामीणों का कहना है कि कई बार मंत्री और विधायक से गुहार लगा चुके हैं लेकिन किसी ने भी हमारी सुध नहीं ली‌। ग्रामवासियों का कहना है कि हमारे बुजुर्ग पानी, बिजली और रोड के लिए मांग करते-करते मर गए लेकिन किसी ने हमारी समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहा नेता हर बार चुनाव के टाइम पर आते हैं आश्वासन के अतिरिक्त कुछ नहीं मिलता। गांव के लोगों के मुताबिक कई बार उन्हे नदी का ही पानी पड़ता है। शासन द्वारा सौर ऊर्जा की सुविधा दिया गया है। ग्रामीणों के अनुसार मौसम खराब होने से कई-कई दिनों तक सौर ऊर्जा काम नहीं करता है । रात होते ही अंधकार में दोनों गांव डूब जाते हैं। आज भी यहां लालटेन और मोमबत्ती जलाकर ही उजाला किया जाता है। यहां के ग्रामीणों के पास आवास, पीने के लिए पानी और सड़क की समस्या है। सड़क की समस्या तब और बढ़ जाती है। जब बरसात के दिनों में गांव के पास से नाले का पानी पीकर जीवन यापन करने में मजबूर हैं।

शासन की ओर से गवारडांड मुहल्ले के छोटे-छोटे बच्चों के लिए आंगनबाड़ी खोला गया है, लेकिन आंगनबाड़ी कई-कई महिनों तक बंद रहता है, ग्रामीणों ने हमारे टीम को बताया कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को मन लगे तो कभी कभार आंगनबाड़ी आ जाते हैं, नहीं तो कई-कई महिनों तक आंगनबाड़ी में ताला बंद रहता है। अब सोचने वाली बात है कि क्या महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी-कर्मचारी सिर्फ कुर्सी में बैंठ कर शासन से फोकट का वेतन ले रहे हैं।

मुहल्लेवासियों को नहीं मिल रहा स्वास्थ्य सुविधा

पहाड़ के चोटी में बसा गवारडांड मुहल्लेवासियों को स्वास्थ्य सुविधा का लाभ नहीं मिल पा रहा है। गवारडांड के ग्रामीणों को तो यह तक नहीं मालूम कि इनके स्वास्थ्य कार्यकर्ता कौन है? ग्रामीणों ने बताया कि बरसात के दिनों में नाला में पानी ज्यादा होने से पंचायत से सारा संपर्क टूट जाता है, और ऐसे समय में कोई अगर बीमार पड़ जाये तो भगवान भरोसे ही जीना पड़ता है, क्योंकि ना तो स्वास्थ्य विभाग के कोई स्वास्थ्य कर्मचारी ईलाज के लिए आते हैं और ना ही बीमार आदमी को हम ईलाज के लिए अस्पताल ले जा सकते हैं क्योंकि नाला में बहुत अधिक पानी भर जाता है जिसे पार करना मुश्किल होता है।

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