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बड़ी खबर: क्या पुलिस के मुखौटे में छुपा है गौ तस्करों का असल गुर्गा?… लैलूंगा, रैरुमा पुलिस की कार्यशैली संदिग्ध?

सोमवार और मंगलवार की दरमियानी रात हर हफ्ते 1500 से 2000 मवेशियों की हो रही तस्करी…गौ तस्करो के इशारे पर रात 11:00 बजे से सुबह 4:00 बजे तक अलग-अलग टोलियों में दिहाड़ी मजदूरों के सहारे क्रूरता पूर्वक मारते पीटते बिना रुके सारी रात चलता है गौ तस्करी का सिलसिला…

रायगढ़/ लैलूंगा:- चरखापारा मवेशी बाजार से बगुडेगा होते हुए राजपुर के रास्ते हीरापुर, भेलवांटोली, खम्हार, जामबाहर मार्ग से आगे होते हुए ढिटोरीआमा की ओर आगे बढ़ते हुए हांड़ीपानी बाजार लेकर जाते हैं। गौ तस्करी का यह सिलसिला लगभग रात 11:30 बजे से सुबह 5:00 तक चलता है। तस्करो के इशारे पर अलग अलग टोलियों में 700- 1000 रु की दिहाड़ी मजदूरी पर रात को अंधेरे में मवेशियों को मरते पीटते हुए लेकर जाते हैं। सूत्रो की माने तो स्थानीय पुलिस प्रशासन की सहयोग से यह होती है। यह गौ तस्कर पिछले कई वर्षों से सक्रिय हैं। बता दें कि चरखापारा में सोमवार को बाजार लगता है और हांड़ीपानी में गुरुवार को बाजार लगता है एक दिन पहले ही गौ तस्कर मवेशियों को लेकर बाजार में पहुंच जाते हैं। जो स्थानीय पुलिस की आंख में धूल झोंकने दिहाड़ी मजदूरो के द्वारा क्रूरता पूर्वक मरते- पीटते बिना रुके पैदल हांकते ले जाते हैं मवेशीयो को…सूत्र बताते हैं कि थाने में पदस्थ कुछ पुलिसकर्मी जो लंबे समय से पदस्थ हैं। वह मवेशी तस्करों को सहयोग करते हैं, तथा इन्हीं पुलिस कर्मियों के साथ गांठ से तस्करी को अंजाम दिया जा रहा है? सूत्रों ने आगे बताया कि पुराने पदस्थ पुलिसकर्मी ही अक्सर नए थानेदार को सेटिंग करता है? जिसकी उच्च अधिकारियों को भनक तक नहीं होती?…

इस बड़े पैमाने पर हो रही गौ तस्करी के संबंध में जब दूरस्थ वनांचल क्षेत्र के कुछ जनप्रतिनिधि एवं गौ सेवकों के द्वारा मीडिया को अवगत कराया गया तथा नाम न छापने की शर्त पर पूरे मामले से पर्दा उठाते हुए स्थानीय पुलिस पर गंभीर आरोप लगाया है, उन्होंने दावा किया है कि स्थानीय पुलिस की साठ गांठ से गौ तस्करी के अवैध कारोबार को धड़ल्ले से जारी है। इस तरह के पुलिस पर लगे गंभीर आरोप और ग्रामीणों के दावे की पुष्टि करने के लिए जब हमारे संवाददाता के द्वारा रैरूमा चौकी प्रभारी और लैलूंगा थाना प्रभारी से बात की गई तथा गौ तस्करी के पूर्व ही उन्हें जिन गांव से होकर मवेशियों तस्करी की जा रही है उन्हें अवगत कराया गया तथा बड़े पैमाने पर हो रही तस्करी रोकने के लिए सूचना दी गई। देर रात तक पाल-पाल की अपडेट रैरूमा चौकी प्रभारी और लैलूंगा थाना प्रभारी के व्हाट्सएप पर भी दी गई तथा वीडियो भी साझा किया गया किंतु दूरभाष पर कार्यवाही का आश्वासन देने के बावजूद देर रात तक किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं हुई और सोमवार और मंगलवार की दरमियानी रात तकरीबन 1500 से 2000 के आसपास मवेशियों की सुबह 4:00 बजे तक धड़ल्ले से तस्करी जारी थी। अगली सुबह खबर प्रशासन के पूर्व थाना प्रभारी पर लग रहे आरोपों से अवगत कराते हुए जब उन्हें दूरभाष पर संकल्प किया गया तो उन्होंने तिल मिलते हुए हमें धमकाने के लहजे से सूत्रों को सामने खड़े होने तथा मौके पर आकर साथ में मिलकर कार्यवाही करने की बात कही गई। अब सवाल यह उठता है की तस्करी के पूर्व ही जब दूरभाष पर सूचना दी गई थी।

तथा पल-पल की अपडेट दी जा रही थी तो आखिर कार्यवाही क्यों नहीं हुई? कार्यवाही न होने पर ग्रामीणों के लगाए गए गंभीर आरोपों को बल मिलता दिखाई दे रहा है।बहरहाल मवेशी तस्करी पर लगाम लगाने के लिए उच्च अधिकारियों के दिशा निर्देशों की स्थानीय थाना क्षेत्र के प्रभारी धज्जियां उड़ाते नजर आ रहे हैं। खबर प्रशासन के बाद यह देखना लाजमी होगा कि ग्रामीण वनांचल लैलूंगा और रैरूमा थाना क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय चल रहे जी तस्करों के हौसले बुलंद है आखिर इस पर लगाम लगाने के लिए शासन प्रशासन क्या कार्यवाही करती है।

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