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पंचायत झगरपुर में लाखों का भ्रष्टाचार,सचिव और रोजगार सहायक के ऊपर लग रहे गंभीर आरोप!

बिना कार्य किये लाखो का गड़बड़ झाला4 सालो से पंचायत में आम सभा आयोजन नही,सचिव के ऊपर भड़के पंच सहित सरपंच

जनपद पंचायत लैलूँगा के अंतर्गत ग्राम पंचायत झगरपुर में झूठे विकास कार्यों के नाम पर मूलभूत राशि के लाखों रुपए आहरित किये जाने का मामला सामने आ रहा है।
ग्राम पंचायत झगरपुर के ग्रामीणों ने एवं पंचों ने बताया कि झगरपुर के कई मोहल्ले में नाली निर्माण, पानी टंकी निर्माण, नहानि घर निर्माण, तालाब सौंदर्यीकरण एवं कई अन्य विकास कार्यों के नाम पर मूलभूत राशि के लाखों रुपए निकाले जा चुके हैं। जहाँ आम जनता के साथ मिल कर पारदर्षिता के साथ विकास कार्यों को आगे बढ़ना चाहिए वहीं ग्राम सभा के नाम पर सिर्फ कागजों पर ग्राम सभाएँ की जाती हैं, ऐसे में जनता न तो सच्चाई जान पाती है और न ही विकास कार्यों की जानकारी ले पाती है।
ग्राम पंचायत झगरपुर के किसी भी मोहल्ले में न ही नाली निर्माण किया गया, न ही पानी टंकी बनाया गया, न ही नहानि घर बनाया गया, न ही तालाबों का सौंदर्यीकरण किया गया और न ही अन्य विकास कार्य किया गया है। ग्रामीणों का आरोप है कि प्रत्येक वर्ष का ऑनलाइन के माध्यम से साफ तौर पर देखा जा सकता है कि इन सभी विकास कार्यों के नाम पर लाखों रुपए निकाले जा चुके हैं।
ज्ञात हो कि पंचायती राज अधिनियम 1993 की धारा 49 के अंतर्गत ग्राम पंचायत को मूलभूत कार्यों को संपादित करने का दायित्व सौंपा गया है, जनसंख्या वर्ष 2011 के अनुसार प्रत्येक ग्राम पंचायत को मूलभूत और 15 वित्त की राशि दी जाती है, जिससे कि ग्राम पंचायतों में मूलभूत सेवाओं का ग्रामवासियों को लाभ मिल सके। किंतु ग्राम के सेवकों द्वारा नियमों से हट कर विकास कार्यों के नाम पर पैसे निकाल लिए जाते हैं। ये विकास कार्य केवल कागजों पर देखी जा सकती है, जबकि हकीकत कुछ और ही है, ऐसे में ग्रामवासी सरकार के सभी योजनाओं एवं सेवाओं से वंचित रह जाते हैं।
अब सवाल यह है कि ग्राम पंचायत झगरपुर की सरपंच भारती राठिया, पंचायत सचिव श्री मनकेश्वर राठिया एवं रोजगार सचिव प्रतिमा प्रधान द्वारा बिना किसी निर्माण कार्यों के विकास के नाम पर लाखों रुपए कैसे निकाले जा रहे हैं? क्या ग्राम पंचायतों में किसी प्रकार के निर्माण कार्यों के पश्चात ग्रामीण विकास अधिकारी द्वारा उन कार्यों का निरीक्षण नहीं किया जाता या जानबुझकर पैसों के लालच में अधिकारी अपनी आँखे मूंद लेते हैं। अगर मामले की जाँच की गई तो और भी तथ्य सामने आयेंगे।

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