सालिक साय का सफरनामा – अजजा मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष , जिला पंचायत सदस्य जन सेवक सालिक साय का जन्मदिन 21 आगामी अप्रेल को है । इस दिन कार्यकर्ता अपने चहेते नेता का जन्मदिन बड़ी धूमधाम से मनाते है।परिवारकांसाबेल के ग्राम पोंगरो में पुलिस विभाग में कार्यरत एक सिपाही जगबंधन साय और गृहिणी श्रीमती राजकुमारी देवी के घर 21 अप्रेल को एक जन सेवक का जन्म हुआ, जिसे लोग आज सालिक साय के नाम से जानते हैं और जिन्हें लोग प्यार से ( बबलू साय ) के नाम से भी जानते है । सालिक साय की पहचान एक लोकप्रिय आदिवासी जन सेवक नेता के रूप में होती है। जगबंधन साय और राजकुमारी साय के 2 पुत्री और एक पुत्र है बचपन मे ही सालिक साय के सिर से माँ राजकुमारी का साया उठ गया, जिसकी वजह से घर परिवार की सभी जवाबदारी सालिक साय के कंधों पर आ गई। बचपन मे ही माँ के प्यार से वंचित सालिक साय को माँ के प्यार को दोनो बड़ी बहनों ने पूरा करने को कोशिश करते रहे । वही सालिक साय सुरु से ही झुझारू प्रवित्ति के रहे है दोनो बड़ी बहनों के साथ स्वयं की पढ़ाई लिखाई करने के लिए बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। सालिक साय को शिक्षा दिक्षा दिलाने में बड़ी दीदी सुशीला साय और पूर्व जनपद सीईओ आर एच साय कौशल्या साय एवं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का अहम योगदान रहा । सालिक साय अपने स्वभाव के अनुरूप पान दुकान चलाने से लेकर ड्राइवरी तक के काम करने में कभी संकोच नहीं किया ।
बड़ी बहने सुशीला साय और कौशल्या साय की शादी कराने की जवाबदारी भी इन्हीं के कंधे पर थी । दोनो बड़ी बहनों की शादी अच्छे परिवार में किया । बड़ी बहन सुशीला साय ( वर्तमान में सेवानिवृत्त )जनपद पंचायत सीईओ की पत्नी तो वही मझली बहन कौशल्या साय प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की पत्नी है । सालिक साय और सबन्ति साय की 2 बेटी और 1 बेटा से हंसता खेलता परिवार है।
भाजपा पार्टी के प्रति समर्पण
सालिक साय दो दशक से अधिक समय से लगातार पार्टी की सेवा कर रहे है और नए सदस्यता विस्तार के लिए बूथ स्तर तक के छोटे कार्यकर्ता और नेताओं की बैठक लेकर भाजपा के लिए सतत नए सिपाही तैयार करने में लगे रहते हैं विगत पंचवर्षीय कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में भी हमेशा अपने कार्यकर्ताओं के साथ कंधे से कंधे मिलाकर खड़े होकर उनका मनोबल बढ़ाया है । और कांग्रेस के विधायक होने के बावजूद भाजपा को मजबूत करने के लिए सड़क पर उतरकर अनेक आंदोलन किये ।
सालिक साय की व्यापक लोकप्रियता और कुशल रणनीति की बदौलत आज कांग्रेस के दिग्गज आदिवासी नेता रामपुकार सिंह के इस अभेद किले भेदने के लिए व्यूहरचना तैयार कर सीट को भाजपा की झोली में डाला है।एक नज़र- छात्र राजनीति से भाजपा अजजा मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष तक का सफर1994 : अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् से राजनीतिक जीवन की शुरूवात , 1996 : भारतीय जनता पार्टी प्राथमिक सदस्यता (स्व. दिलीप सिंह जूदेव विष्णुदेव साय के सानिध्य में राजनीतिक सफर की शुरूवात किया । 2000 : भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा सदस्य , 2002 – मंडल मंत्री (युवा मोर्चा), मंडल-कांसाबेल , 2005-2010 – अध्यक्ष-जनपद पंचायत कांसाबेल , 2006 – विशेष आमंत्रित सदस्य, प्रदेश अनुसूचित जनजाति मोर्चा , 2010-2015 : जनपद उपाध्यक्ष, जनपद पंचायत कांसाबेल , 2015-2020 : सदस्य, जनपद पंचायत-कांसाबेल एवं दोकड़ा मंडल प्रभारी व बुथ पालक-टांगरगांव , 2017 से 2019 से सदस्य, जिला कार्यसमिति जिला-जशपुर , मंडल अध्यक्ष भाजपा मंडल – कांसाबेल 2020 से : जिला पंचायत सदस्य व सभापति कृषि स्थायी समिति जिला पंचायत जशपुर 2021 से : जिला सह प्रभारी अनुसूचित जनजाति मोर्चा, जशपुर 2023 से : प्रदेश उपाध्यक्ष, भाजपा, अनुसूचित जनजाति मोर्चा, छत्तीसगढ़ एवं चुनाव संचालक, विधानसभा पत्थलगांव सामाजिक जीवन की बड़ी जवाबदारी2006-2008 : सदस्यता प्रभारी (अखिल भारतीय कंवर समाज), 2008-2010 – सलाहकार समिति (अखिल भारतीय कंवर समाज) के पद पर रह कर समाज के प्रति अपनी सेवा दे रहे है ।कांग्रेस के अभेध किला को किया ध्वस्त।सालिक साय अपने राजनितिक गुरु कुमार स्व दिलीप सिंह जूदेव और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के सानिध्य में रहकर राजनैतिक गुर सीखे हैं। जूदेव परिवार और मुख्यमंत्री के करीबी होने विष्णु देव साय के चहेते होने के कारण पत्थलगांव विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी गोमती साय के चुनाव संचालक की कमान देकर बड़ी जवाबदारी इन्हें सौंपी। जिसे अपने कुशल और विशेष रणनीति तैयार कर पत्थलगांव के अजेय किले को जिताने में भी अहम भूमिका निभाई है। पत्थलगांव विधानसभा को कांग्रेस के जबड़े से छिनकर भाजपा की झोली में डालने वालों की सूची में सबसे पहला नाम सालिक साय का आता है, इन्होंने लगातार पिछले बीस वर्षों से एक सक्रिय जनप्रतिनिधि के रूप में क्षेत्र की देवदुल्य जनता की सेवा करते आ रहे हैं।