धरमजयगढ/नई आवाज – आज पुरे विश्व में ईस्टर डे पर्व मनाया गया, जहां पर बड़े हर्षोल्लास से एक दुसरे को शुभकामनाएं एवं बधाई देते हुए महागिरजा घरों में अनुयायियों का भीड़ देखने को मिला।
इसी क्रम में धरमजयगढ के ईसाई धर्म के अनुयायियों द्वारा पुरे समुदाय ने मिलकर ईस्टर पर्व मनाया गया। वहीं गिरजाघर में लोगों की काफी भीड़ बनी हुई थी।

आपको बता दें,बाईबल ग्रंथानुसार प्रभु यीशु प्रेम और शांति के मसीहा थे। वह दुनिया को करुणा, प्रेम का संदेश देते थे लेकिन रोम के शासक और कुछ धार्मिक कट्टरपंथियों को यह बात पसंद नहीं थी। इस कारण यीशु को शारीरिक यातनाएं देते हुए सूली पर चढ़ा दिया गया। जिस दिन उनकी मृत्यु हुई, उसे गुड फ्राइडे के तौर पर मनाया जाने लगा। जिसके तीन दिन बाद ईस्टर मनाने की भी खास वजह है।ईसा मसीह को जब सूली पर चढ़ाया गया तो उनके अनुयायी बहुत निराश हो गए। लेकिन तीन दिन बाद संडे के दिन ईसा मसीह पुनर्जीवित हो उठे। उन के पुनर्जीवित होने से अनुयायियों में खुशी की लहर दौड़ गई। इसलिए ईस्टर को खुशी के पर्व के तौर पर मनाते हैं। ईसाई धर्म ग्रंथ के अनुसार, पुनर्जीवित होने के बाद यानी ईस्टर संडे के बाद 40 दिन तक ईसा मसीह पृथ्वी पर रहे। इस दौरान उन्होंने अपने शिष्यों को प्रेम और करुणा का पाठ पढ़ाया, बाद वे स्वर्ग चले गए।कुछ लोग ईस्टर के मौके पर अलग अलग तरह के अंडों को सजाते हैं और एक दूसरे को भेंट में अंडे देते हैं। ईस्टर में अंडे का विशेष महत्व है। दरअसल, ईसाई धर्म के लोग अंडे को नया जीवन और उमंग का प्रतीक मानते हैं, इसलिए अंडे के जरिये पर्व मनाते हैं।
इसी धर्म परम्परा अनुसार धरमजयगढ़ में भी इसाई समुदाय के लोगों ने ईस्टर पर्व को आचार संहिता का पालन करते हुए, हर्ष उल्लास से मनाया गया।








