धर्मजयगढ़। धरमजयगढ वनमंड़ल में रॉयल्टी क्लीयरेंस को लेकर अभी भी कई कार्यालय विधि विरुद्ध काम कर रहे हैं। अवैध खनिजों का इस्तेमाल कर ठेकेदार काम कर रहे हैं। बाजार मूल्य काटने की जगह विभाग रॉयल्टी काट रहे हैं। धरमजयगढ़ वनमंडल में तो बिना राशि कटौती के ठेकेदारों को पूरा भुगतान कर दिया गया। रेत, गिट्टी, मुरुम, मिट्टी चाहे कोई भी खनिज निर्माण कार्य में लगे, उसकी रॉयल्टी खनिज विभाग के माध्यम से शासन को मिलनी चाहिए। यही नियम है। खनिज विभाग ने जून 2020 में अधिसूचना प्रकाशन कर नियम तय किए थे। लेकिन अब भी पुराने ढर्रे पर ही काम चल रहा है। ठेकेदार अभी भी अवैध खनिजों का इस्तेमाल कर रहे हैं और विभागों में पूरा भुगतान हो रहा है। नियमत: खनिज विभाग के अलावा किसी भी शासकीय विभाग को गौण खनिजों की रॉयल्टी वसूलने का अधिकार है ही नहीं।अवैध गिट्टी, मुरुम, बोल्डर और रेत का उपयोग निर्माण कार्यों में हो रहा है। खनिज विभाग से रॉयल्टी क्लीयरेंस सर्टिफिकेट लाकर प्रस्तुत करने के बाद ही मटेरियल का पूरा पेमेंट ठेकेदार को किया जाना है। लेकिन कोई भी ठेकेदार पूरी मात्रा का क्लीयरेंस नहीं कराता। धरमजयगढ़ वनमंडल में निर्माण कार्यों में उपयोग की गई, खनिज रॉयल्टी कटौती की जानकारी मांगी गई थी। जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक किसी ठेकेदार से कोई कटौती नहीं की गई है। जबकि हजारों टन गिट्टी, रेत इस्तेमाल की जा चुकी है। ठेकेदार ने रॉयल्टी क्लीयरेंस सर्टिफिकेट भी नहीं दिया। सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत भी इस विषय में स्पष्ट जानकारी नहीं मिल पाई है जो यह दिखाने के लिए ही काफी है कि एक बड़े स्तर पर यहां राजस्व की हानि हुई है जिसकी शिकायत उच्च अधिकारियों को भी की जा चुकी है देखना है कि अब इस पूरे मामले में आगे क्या कार्रवाई होती है।
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