

धरमजयगढ़। सरकार ने सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए नई शिक्षा नीति लागू की, जिसमें शिक्षकों की भर्ती में बीएड और डीएड की अनिवार्यता सुनिश्चित की गई, ताकि बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके और शैक्षिक गुणवत्ता में सकारात्मक परिवर्तन हो सके। वहीं विकासखंड के कई दूरदराज इलाकों में, खासकर प्राथमिक से लेकर हाई स्कूलों तक शिक्षक बिना काम किए वेतन प्राप्त कर रहे हैं,तो कहीं शिक्षक बिना विद्यालय आए और बिना कक्षा में पढ़ाए वेतन लेने का षडयंत्र कर रहे हैं, और कहीं यदि शिक्षक स्कूल पढ़ाने गये है,लेकिन मजह दिखावा अपनी वेतन हाजरी बनाने के साबित हो रही है। वहीं स्कूल में बच्चों को छोड़ कर शिक्षक मौज मस्ती में लगे हुए हैं।
ऐसा ही एक मामला देखने को मिला जहां पर शिक्षक स्कूल में नदारत रहते हुए, ड्यूटी के दौरान दुकानों चौक चौराहों पर मौज मस्ती करने चले जाते हैं। हम बात कर रहे विकासखंड धरमजयगढ़ के ग्राम पंचायत पारेमेर के शासकीय प्राथमिक शाला का, जहां स्कूल के शिक्षक महज दिखावा के लिए स्कूल आते हैं, फिर न जाने कहां गायब हो जाते हैं। ये हम नहीं स्कूल में अध्यनरत बच्चे एवं बच्चों के पालकों का कहना है। खबर को लेकर हमारी मीडिया टीम ने ग्राम पंचायत पारेमेर पहुंच कर स्कूल का जायजा लेने पहुंचे। वहीं समय दोपहर 1 बजकर पंद्रह मिनट में पहुंचे, तो वाकई में पाया गया कि शिक्षक नदारत रहे। वहीं बच्चे प्लेट धोते,तो कुछ बच्चे खेलते नजर आये। वहीं संबंध में बच्चों ने बताया कि स्कूल में दो शिक्षक हैं,जो कि आने के लिए रोज स्कूल आते हैं लेकिन एक-दो घंटा के बाद न जाने कहां चले जाते हैं। और यह बच्चों को भी नहीं पता क्योंकि शिक्षक बताकर नहीं जाते। यह बड़ा सवाल आखिर शिक्षक स्कूल में पढ़ाने आते हैं, या फिर स्कूल के नाम पर आकर मौज मस्ती करने चले जाते हैं? और यदि ऐसा ही चलता रहा तो फिर शिक्षा व्यवस्था एवं बच्चों का भविष्य का क्या होगा?








