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चैत्र नवरात्रि आज से शुरू…घटस्थापना के लिए जानिए शुभ मुहूर्त…

Navratri 2024 Ghatsthapana Shubh Muhurt :- इस साल चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल यानी आज से शुरू हो रहे हैं. जबकि 17 अप्रैल को महानवमी के साथ इसका समापन होगा। चैत्र नवरात्रि के पवित्र दिन मां दुर्गा को समर्पित हैं। इन नौ दिनों में देवी के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा होती है. उन्हें फल, मिष्ठान और तरह-तरह के भोग अर्पित किए जाते हैं. कहते हैं कि चैत्र नवरात्रि में व्रत-उपासना करने वालों को मां दुर्गा से मनचाहा वरदान मिल सकता है. चैत्र नवरात्रि में प्रतिपदा तिथि यानी पहले दिन घटस्थापना की जाती है. इसके बाद ही देवी की पूजा आरंभ होती है. आइए आपको चैत्र नवरात्रि में घटस्थापना का शुभ मुहूर्त और विधि बताते हैं.

घटस्थापना का पहला मुहूर्त

सुबह 6 बजकर 11 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 23 मिनट तक

(अभिजीत मुहूर्त)- सुबह 11 बजकर 57 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक

ज्योतिषियों का सुझाव है कि चैत्र नवरात्रि पर घटस्थापना करने से पहले सूर्य ग्रहण के अशुभ प्रभाव से पैदा हुई नकारात्मकता को दूर करने का उपाय जरूर करें. देर रात सूर्य ग्रहण समाप्त होने के बाद सुबह जल्दी जागें. सबसे पहले पूरे घर की साफ-सफाई करें. घर में गंगाजल का छिड़काव जरूर करें. स्नान के बाद साफ-सुथरे कपड़े पहनें. तुलसी पर गंगाजल छिड़कें. फिर अपने सामर्थ्य के अनुसार, गरीबों को खाने या इस्तेमाल की जाने वाली चीजें दान करें.

इसके बाद ईशान कोण यानी घर की उत्तर-पूर्व दिशा में जहां देवी की चौकी लगाने वाले हैं, वहां साफ-सफाई करें और गंगाजल छिड़कें. फिर शुभ मुहूर्त में घटस्थापना करें. पहले ईशान कोण में एक लकड़ी की चौकी रखें. इस पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं. चौकी के चारों ओर गंगाजल का छिड़काव करें और देवी की प्रतिमा चौकी पर रखें. इसके बाद चौकी के सामने पूजन सामग्री, फल मिठाई और अखंड ज्योति प्रज्वलित करें.

इसके बाद चौकी के बगल में कलश स्थापित करें. इसके लिए एक कलश में जल भरें और उसके ऊपरी भाग में कलावा बांधें. उसमें हल्दी, अक्षत, लौंग, सिक्का, इलायची, पान और फूल डालकर कलश के ऊपर रोली से स्वस्तिक बनाएं. अब कलश के ऊपर अशोक या आम के पत्ते रखें. नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर उस पर कलावा बांधे और उसे कलश के ऊपर और पल्लव के बीच में रख दें. घटस्थापना पूरी होने के बाद देवी का आह्वान करें.

नवरात्रि में पूरे नौ दिन सुबह-शाम दोनों समय पूजा करें. दोनों समय मंत्र का जाप करें और आरती भी करें. अपनी जरूरत के अनुसार किसी एक मंत्र का नौ दिन जाप करें. नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ करना सबसे उत्तम रहेगा. हर दिन अलग-अलग प्रसाद अर्पित करें या दो दो लौंग रोज अर्पित करें.

इस बार क्या है देवी का वाहन? (Chaitra Navratri 2024 Devi Ki Sawari)

हर बार देवी का आगमन किसी विशेष वाहन पर होता है. इससे आने वाले समय के बारे में अनुमान लगाया जाता है. इस बार देवी का आगमन घोड़े पर हो रहा है. यह युद्ध और प्राकृतिक आपदाओं का प्रतीक है. लोगों के जीवन में व्यर्थ के विवाद और दुर्घटनाएं होने की संभावनाएं हैं.

चैत्र नवरात्रि में पूरी तरह से सात्विकता बनाए रखें. दोनों वेला देवी की पूजा करें. नवरात्रि में रात्रि की पूजा ज्यादा फलदायी मानी जाती है. अगर उपवास रखें तो केवल जल और फल ग्रहण करें. पूजा स्थल को कभी खाली न छोड़ें. इन पवित्र दिनों में किसी का अपमान न करें, अपशब्द न कहें.

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