छत्तीसगढ़ में धान की खरीदी हुई जिसकी समय सीमा 4 फरवरी तक थी। जिसमें सोसायटी के माध्यम से किसानों ने अपना उपज समर्थन मूल्य पर बेचा है परंतु अभी तक किसानों द्वारा पूरा धान नही बेच पाने की खबर मुख्य रूप से आ रही है।उक्त मामले को संज्ञान में लेते हुए खरसिया विधानसभा के युवा नेता सम्पत चौहान ने सरकार से धान खरीदी की समय सीमा को बढ़ाने आग्रह किया है और कहा की छत्तीसगढ़ धान का कटोरा है जिसका मुख्य व्यवसाय कृषि पर निर्भर है साथ ही हमारे मुख्यमंत्री स्वयं किसान हैं उनके सरकार की 21 क्विंटल एवम 3100 रुपए के घोषणा उपरांत प्रदेश भर में किसानों ने भरोसा जताते हुए भाजपा को वोट दिया और सरकार भी बनाई, अब घोषणा की उम्मीद पर सभी ने बंपर खेती की और धान लेकर मंडी भी गए, परंतु एक बात की विडंबना है की आज तक जितने भी पूर्ववर्ती सरकार आई और गई परंतु किसी भी सरकार ने धान खरीदी केंद्र में धान के रख रखाव व उठाव की समुचित व्यवस्था के ऊपर ध्यान नहीं दिया।युवा नेता सम्पत चौहान का यह भी कहना है की यदि धान की खरीदी ज्यादा होनी है तो उसके रख रखाव व समय सीमा में भी उचित वृद्धि करना सरकार की जिम्मेदारी है। किसान मंडी में दूर दराज गांव से आ रहे हैं परंतु मंडी और सरकार की अव्यवस्था में फंस रहे हैं यहां उन्हें ठंड में अपने धान को कभी 2-3 दिन तक मंडी में ही रूककर इंतजार करना पड़ता है, छत्तीसगढ़ में आज तक हमारे अन्नदाताओं का उचित व्यवस्था किसी भी सरकारों ने नहीं की उसी तारतम्य में इस वर्ष भी किसानों को भारी अव्यवस्था का सामना करना पड़ रहा है साथ ही अभी तक 3 लाख किसान अपना धान नही बेच पाए ये सरकार की किसानों के प्रति असंवेदनशीलता को दर्शाता है, उन्होंने ये भी बताया की पिछले सत्र की तुलना में इस वर्ष लगभग 2 लाख हेक्टेयर कम रकबा पंजीकृत हुआ है यह भी चिंतनीय है। उक्त विषय पर बजट सत्र में प्रश्नकाल के दौरान स्थानीय विधायक उमेश पटेल जी ने भी यह मुद्दा प्रमुखता से भी उठाया जिस पर विभागीय मंत्री जी का जवाब संतोषप्रद ना होना सरकार की किसानों के प्रति गैर जवाबदारी को प्रदर्शित करता है।जब पहले से अधिक धान खरीदी एवम समर्थन मूल्य में भी बढ़ोतरी हुई है तब भी कम रकबा का पंजीयन होना एवम अभी भी 3 लाख किसानों का धान बेच नही पाना सरकार के किसानों के प्रति धान खरीदी के प्रबंधन पर शंका का प्रतीक है । सम्पत चौहान ने सरकार से ये भी सवाल किया है की किसानों का यदि रकबा कम हुआ है और अपना धान नही बेच पाए हैं इसका लाभ धान खरीदी के दलाल एवम बिचौलिए उठाएंगे जिनके पास किसान अपना धान मजबूर होकर कम कीमत पर बेचेंगे इसका जवाबदार कौन होगा? क्या इस तरह की काला बाजारी को रोकने की जिम्मेदारी सरकार की नही है?क्या किसानों के धान को नहीं खरीद पाना बिचौलिए को सरंक्षण देने की संज्ञा में नही आता। उक्त समस्या के समाधान हेतु सम्पत चौहान ने सरकार से आग्रह किया है की धान खरीदी के समय सीमा को बढ़ाते हुए किसानों के एक एक दाने को विधिवत खरीदे ताकि हमारे अन्नदाताओं को बिचौलिए से धान ना बेचना पड़े और अच्छे मूल्य पाकर किसानों के आय में उचित वृद्धि हो साथ ही चौहान ने किसानों के माध्यम से उम्मीद भी जताई है की किसान मुख्यमंत्री व किसान कृषि मंत्री किसान की मजबूरी व दर्द को समझते हुए उचित निर्णय लेंगे, जिससे प्रदेश में किसानों को अपना हक मांगने सड़क पर ना उतरना पड़े ना ही आंदोलन करना पड़े। युवा नेता सम्पत चौहान ने जय किसान के नारे पर बल देते हुए यह भी भरोसा जताया की यदि किसानों को हक के लिए आंदोलन करना पड़ा तो पार्टी उनके साथ सड़क से सदन तक खड़ी रहेगी।