धरमजयगढ/रायगढ़/ नई आवाज – इस वर्ष 31 मार्च को ईस्टर संडे है। सभी ईसाई धर्म के अनुयायियों के लिए बेहद खास दिन होगा। गुड फ्राइडे के तीन दिन बाद ईसाई धर्म के अनुयायी महागिरजा घर सहित जिले की विभिन्न चर्चों ईस्टर संडे का पर्व बनाएंगे।ईस्टर के मौके पर लोग चर्च में जाकर प्रार्थना करते हैं। इस पर्व को धूमधाम से मनाते हुए एक दूसरे को बधाई देते हैं। ईस्टर को खास तरीके से मनाया जाता है। इस दिन लोग अलग अलग तरह के अंडों को सजाते हैं और एक दूसरे को तोहफे में अंडे देते हैं।ईस्टर रविवार को मनाया जाता है। इस कारण इसे ईस्टर संडे भी कहते हैं। ईस्टर संडे गुड फ्राइडे के तीसरे दिन रविवार को मनाया जाता है।
इस बार गुड फ्राइडे 29 मार्च को मनाया गया और ईस्टर 31 मार्च को मनाया जा रहा है।
जानिए वजह आखिर क्यों मनाया जाता है,ईस्टर डे पर्व!
प्रभु यीशु प्रेम और शांति के मसीहा थे। वह दुनिया को करुणा, प्रेम का संदेश देते थे लेकिन रोम के शासक और कुछ धार्मिक कट्टरपंथियों को यह बात पसंद नहीं थी। इस कारण यीशु को शारीरिक यातनाएं देते हुए सूली पर चढ़ा दिया गया। जिस दिन उनकी मृत्यु हुई उसे गुड फ्राइडे के तौर पर मनाया जाने लगा। जिसके तीन दिन बाद ईस्टर मनाने की भी खास वजह है।ईसा मसीह को जब सूली पर चढ़ाया गया तो उनके अनुयायी बहुत निराश हो गए। लेकिन तीन दिन बाद संडे के दिन ईसा मसीह पुनर्जीवित हो उठे। उन के पुनर्जीवित होने से अनुयायियों में खुशी की लहर दौड़ गई। इसलिए ईस्टर को खुशी के पर्व के तौर पर मनाते हैं। ईसाई धर्म ग्रंथ के अनुसार, पुनर्जीवित होने के बाद यानी ईस्टर संडे के बाद 40 दिन तक ईसा मसीह पृथ्वी पर रहे। इस दौरान उन्होंने अपने शिष्यों को प्रेम और करुणा का पाठ पढ़ाया, बाद वे स्वर्ग चले गए।कुछ लोग ईस्टर के मौके पर अलग अलग तरह के अंडों को सजाते हैं और एक दूसरे को भेंट में अंडे देते हैं। ईस्टर में अंडे का विशेष महत्व है। दरअसल, ईसाई धर्म के लोग अंडे को नया जीवन और उमंग का प्रतीक मानते हैं, इसलिए अंडे के जरिये पर्व मनाते हैं।